कैसे कोई समझाएगा पीड़ा का सुख होता क्या
गर सुख होता पीड़ा में तो खुद वो रोता क्या
इजाज़त हो तेरी तो हम कर सकते हैं बयाँ
दुख की हक़ीक़त भी और दुख होता क्या
ख़ारिज में हवादिस हैं दाख़िल में अहसास फ़क़त
वर्ना दुख होता क्या है और सुख होता क्या
सोच के पैमाने बदल मय बदल मयख़ाना बदल
ज्ञानमधु पी के देख कि सच्चा सुख होता क्या
भुला दे जो ख़ुदी को हुक्म की ख़ातिर
क्या परवाह उसे दर्द की दुख होता क्या
आशिक़ झेलता है दुख वस्ल के शौक़ में
बाद वस्ल के याद किसे कि दुख होता क्या
पीड़ा सहकर बच्चे को जनम देती है माँ
माँ से पूछो पीड़ा का सुख होता क्या
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ख़ारिज - बाहर, हवादिस - हादसे, दाख़िल में - अंदर
हुक्म - ईशवाणी, ख़ुदी - ख़ुद का वुजूद, वस्ल- मिलन
13 comments:
वाह अनवर साहब आपने तो ज्ञान की मधुशाला भी खोल दी । आपके लेख पढ़कर तो पहले ही सरुर क्या कम होता था । अब तो सब झूम ही उठेगें ।
अच्छी ग़ज़ल
SAHI KAHA AAPNE BHAI!!!
अच्छी गज़ल
सुन्दर प्रस्तुति..
नव वर्ष(2011) की शुभकामनाएँ !
मीठा मीठा सारा सुख है
मुबारकबाद भी बेहतर रूख है
एक हिन्दी ब्लॉगर पसंद है
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें!
पल पल करके दिन बीता दिन दिन करके साल।
नया साल लाए खुशी सबको करे निहाल॥
सोच के पैमाने बदल मय बदल मयख़ाना बदल
ज्ञानमधु पी के देख कि सच्चा सुख होता क्या
भुला दे जो ख़ुदी को हुक्म की ख़ातिर
क्या परवाह उसे दर्द की दुख होता क्या
bahot khoobsurat likha hai!
जमाल भाई आज पहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ...आप तो बहुत अच्छा लिखते हैं...मेरी दाद कबूल करें...
नीरज
बहुत प्यार से खूबसूरत दर्दों की दास्ताँ कह दी आपने
यही बात हर इंसां समझ जाता तो दुःख ही क्या होता...
बहुत खूब...
@ बहन पूजा जी ! दर्द की दास्तान को एक औरत से ज़्यादा भला कौन पहचान सकता है ?
औरत दर्द से जन्म लेती है , पहले बेटी और फिर बहू होने का दर्द सहती है । मासिक धर्म का दर्द भी वही सहती है और प्रसव के समय का दर्द भी उसी का मुक़द्दर है और उसके बाद भी ढेरों दर्द हैं जिन्हें वह झेलती हैं और फिर भी मुस्कुराती है और तब वह कहलाती है
प्यारी माँ
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पीड़ा सहकर बच्चे को जनम देती है माँ
माँ से पूछो पीड़ा का सुख होता क्या
बहुत खुबसूरत और सच बात किसी किसी दर्द में भी सकूँ मिलता है !
जब दर्द होता है तभी तो शब्द को जुबान मिलती है !
बिना दर्द के तो शब्द भी बेजुबान होती है !
एहसासों को दर्शाती सुन्दर रचना !
औरत के दर्द को महसुस कर गहराई से उकेरने के लेये शुक्रिया .....
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