Thursday, August 5, 2010

Tolerance in India सदा सहिष्णु भारत - Anwer Jamal

यह पोस्ट आधा तीतर आधा बटेर बनकर रह गई है। सबसे पहले सलीम साहब ने,फिर क्रमशः शहरोज़ भाई, उमर साहब और शाहनवाज़ भाई ने भी  फ़ोन पर अपना ऐतराज़ जताया था। उमर कैरानवी साहब ने इसे एक घटिया पोस्ट क़रार दिया है और गुरू वही है जो ग़लती बताये, मार्ग दिखाये और शिष्य वह है जो अपनी कमी को कुबूल करे और उसे दूर भी करे। वैसे इसे पोस्ट करते समय भी मेरे मन में खटक थी लेकिन ख़याल था कि एक कहानी है लेकिन ‘निष्पक्ष लेखकों‘ ने बताया कि कहानी है तो इसमें नाम असली क्यों हैं ?
... और वाक़ई यह एक बड़ी ग़लती है जिसकी वजह से जनाब मिश्रा जी अपने गुस्से में भी हक़ बजानिब हैं और सज़ा देने में भी। मेरे दिल में उनके लिये प्यार और सम्मान है और एक लेखक के लिये सबसे बड़ी नाकामी यह है कि वह अपने जज़्बात को भी ढंग से अदा न कर पाये। मैं इस कहानी को खेद सहित वापस लेता हूं और कमेंट्स ज्यों के त्यों रहने देता हूं ताकि मुझे अपनी ख़ता का अहसास होता रहे और जिन्हें पीड़ा पहुंची है उन्हें कुछ राहत मिल सके। मैं एक बार फिर आप सभी हज़रात से क्षमा याचना करता हूं।
ब्लॉगिंग का उद्देश्य स्वस्थ संवाद होना चाहिये जोकि अपने और देश-समाज के विकास के लिये बेहद ज़रूरी है। सबका हित इसी में है। मेरे लेखन का उद्देश्य भी यही है। नाजायज़ दबाव मैं किसी का मानता नहीं और ग़लती का अहसास होते ही फिर मैं उसे रिमूव करने में देर लगाता नहीं। सो यह पोस्ट रिमूव की जाती है।

30 comments:

Arvind Mishra said...

तुम लोगों का कोई इलाज नहीं है -एक लाईलाज नासूर हो इस समाज के .....
बदलाव का फर्क अगर महसूस नहीं कर रहे हो तो या तो बड़े अहमक हो ,या क़यामत नजदीक है !
इन सारे मसलों को अगर कोई नहीं झेल पायेगा तो वो तुम्हारा पात्र जानीष है ,और इसी बात की मुझे फ़िक्र है...
सलीम मियाँ साईंस ब्लागर्स के चेयर मैंन होंगे और साईंस ब्लागर्स वर्कशाप के मुख्य अतिथि भी और तुम्हारे जैसे जाहिल सदारत करेगें
.......ले बीते तुम लोग जानीष को ....
मैं कोरी बातें नहीं करता -कथनी करनी का फरक नहीं है...तुम सभी मिलकर यही साबित कर रहे हो कि हिन्दू मुस्लिम साथ नहीं सकते -मादरे वतन का सीना चाक करने पर फिर तुल गए हो ...मुझे ईश निंदा से नफ़रत है -मैं वार्न करता हूँ मुझे मजबूर न करो ....

Mahak said...

अनवर भाई ,सलीम मियाँ की हरकतें सच में संदेहास्पद हैं

Anonymous said...

यहां बडी घ्रणित मानसिकता से कथानक रच कर व्यक्तिगत आरोप किये जा रहे है।
अगर यही सच्चाई है तो डा जमाल का दिमाग विक्षिप्त है,एक सच्ची बात कहने वाले इन्सान के मन में अपने व सभी मुसलमानो के प्रति घ्रणा फ़ैलाने का काम कर रहा है।

महक, इस दुराचारी से सावधान।

Ayaz ahmad said...

@मिश्रा जी अगर बुद्धिजीवी भी क्रोध से वशीभूत होकर बात करेंगे तो हो लिया चिंतन ! ! !

nilesh mathur said...

ये बेहूदी पोस्ट पढ़कर अंदाजा लगाया जा सकता है की इसे लिखने वाला कितना बेहूदा होगा!

जुबेर अली said...

गन्दी नाली में रेंगने वाले कीडे से बढकर औकात नहीं है तुम जैसे अपनी माँ के दलालों की!
किसी भडवे की नाजायज औलाद हो तुम सब लोग!
आक थू!

सहसपुरिया said...

यही अदा तो आपकी हमें पसंद है....
भाइयो सच तो हमेशा कड़ुवा होता है बड़ी मुश्किल से हज़म होता है.

Arvind Mishra said...

@ डाक्टर अयाज ,
सुनने में आपकी बात भली लगती है ,किन्तु प्रलापों की कोई सीमा होती है -आप क्यों भूलते हैं की परशुराम और दुर्वासा हमार्फे पूर्वज रहे हैं ....उनके रक्त के कुछ कतरे आज भी हमारे वजूद में हैं -मेरा निजी जीवन सूत्र है -इदं शस्त्रं इदं शास्त्रं -अर्थात एक हाथ में शास्त्र तो दुसरे में शास्त्र -हिन्दुओं से अनावश्यक छेड़ छाड़ बंद की जाय ....वे मूलतः अहिंसक हैं और उन्हें छेड़ने का एक बड़ा दुखद और भयावह परिणाम सामने आ चुका है -यह कितना आश्चर्यजनक है की लोगों की स्मृत्यां इतनी अल्पकालिक हैं -
ब्लॉग पर रेलिजन रेलिजन मत खेलें -मैं अपने दोनों हाथ उठाकर यह आह्वान कर रहा हूँ -यह बड़े बुरे परिणाम लेकर आएगा ! ये अहमकाना हरकतेंबंद की जायं -पूरे दुनिया में इन्ही हरकतों के चलते एक वर्ग विशेष संदेह से देखा जा रहा है -अब ब्लॉग में व्यक्ति विशेष देखे जा रहे हैं -यह कितना दुर्भाग्य्पूर्ण है इसका अंदाजा क्म अक्लों को नहीं है -यह शनै शनै आत्मघाती बनता जा रहा है ...मैं खूद अपने निजी जीवन में व्यक्ति को महत्व देता आया हूँ -कौम और रेलिजन को नहीं -मेरे कई मुसलमान मित्र हैं जिन पर मुझे फख्र है -मुझे तेज गुसा इसी बात पर आ रही है कि खुद मेरा विश्वास दरकने की कगार पर आता जा रहा है .
राम को आप हिन्दू से उसी तरह अलग नहीं कर सकते जैसे अल्लाह से एक मुसलमान को ...
इतनी अक्ल तो आपके कौम के इन नए मुल्लों को होनी चाहिए ....

Unknown said...

हा हा हा हा, अरविन्द मिश्रा जी… "बड़ी जल्दी"(?) इन लोगों की फ़ितरत आप समझ गये? चलिये आपका गंगा-जमनी "सपना" टूट गया… और आप हकीकत के धरातल पर आ गये।

(एक बात और - मुझे यह लेख पढ़ने के लिये सलीम ने जीमेल पर Ping किया था, जिसका स्क्रीन शॉट मौजूद है)…

आपने अपनी पहली टिप्पणी में कहा है, "…तुम लोगों का कोई इलाज नहीं है -एक लाईलाज नासूर हो इस समाज के ....." अब मैं क्या कहूं, आप मुझसे अधिक विद्वान और समझदार हैं। :) :)

DR. ANWER JAMAL said...

शहादत है मक़सूद ए मोमिन
न माले ग़नीमत,न किश्वरकुशाई
माफ़ करते हैं खून अपना
कि मिश्रा जी हैं बड़े भाई

The Straight path said...

अच्छी पोस्ट!

DR. ANWER JAMAL said...

आज सुबह फ़ज्र की नमाज़ अदा की तो मालिक से यही दुआ की ,
‘ऐ अल्लाह ! मैं मिश्रा जी को अपना खून माफ़ करता हूं। ऐ अल्लाह आप गवाह रहना, आप उन्हें 110 साल की उम्र दीजिये। उन्हें सच्चा ज्ञान और सच्चा सुख दीजिये। उनका और उनकी संतान का कल्याण कीजिये। उन्हें लोक-परलोक में सफलता का मार्ग दिखाइये।‘
... और भी दुआ की, यह उसका एक अंश है। अपना दिल चीरकर तो हम किसी को दिखा नहीं सकते। मालिक सबकुछ देख रहा है, उसका देखना और जानना काफ़ी है। जीवन की अवधि नियत है। न कोई समय से पहले मार सकता है और न ही समय पूरा होने के बाद कोई बचा सकता है। हरेक को जाना उसी के पास है। जो सत्य पर चला उसने अपना जन्म सफल किया। मालिक हर बन्दे को सफल करे , ऐसी मेरी दुआ है, अपने लिये भी और आपके लिये भी।

उम्दा सोच said...

अरविन्द मिश्रा जी सरीख सारे तथाकथित सेकुलरवादी गंगाजमुना वालों का भ्रम भी जल्द टूटेगा, जब ये भ्रम गाँधी जी का टूट गया तो और किसी की क्या कहे।

अफ़सोस जयचदों की ज़मात अपने यहाँ ज़्यादा है अपने को बाहरवालों से लडने से पहले घर मे लडना पडता है

Ayaz ahmad said...

@मिश्रा जी हमे नही पता था कि " इदं शस्त्रं इदं शास्त्रं " एक प्राचीन परंपरा है हम तो इसे तालिबानी परंपरा ही समझते थे । और लड़ाई तो किसी मसले का हल है नही ब्लकि खुद एक मसला है । किसी भी युद्ध के बाद मनुष्य को पछताना ही पड़ा है चाहे वह महाभारत ही क्यो न हो । परशुराम जी को भी बाद मे पश्चाताप करना पड़ा था । अशांत होने के लिए तो भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और नेपाल ही बहुत है भारत तो शांत ही रहना चाहिए

Ayaz ahmad said...

@ उम्दा सोच गाँधी जी का भ्रम तो आप लोगो ने ही तोड़ा उन्हे गोली मारकर ।

सतीश पंचम said...

बहुत ही घटिया मानसिकता से लिखी गई पोस्ट है।

बहुत घटिया।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

घटियापन की इससे बडी मिसाल मिलनी मुश्किल है.
आप लोगों का अल्लाह( अगर कहीं है तो) आप लोगों को सदबुद्धि बख्शे.

Armughan said...

किसी को बुरा कहने का किसी को भी बिलकुल हक नहीं है. लोगो का दिल दुखाना सबसे पड़ा पाप है.

मुझे क्षमा करना, मेरे प्रिय पाठकों! मुझे क्षमा करना, मैं अपनी और अपनी तमाम मुस्लिम बिरादरी की ओर से आप से क्षमा और माफ़ी माँगता हूँ जिसने मानव जगत के सब से बड़े शैतान (राक्षस) के बहकावे में आकर आपकी सबसे बड़ी दौलत आप तक नहीं पहुँचाई उस शैतान ने पाप की जगह पापी की घृणा दिल में बैठाकर इस पूरे संसार को युद्ध का मैदान बना दिया। इस ग़लती का विचार करके ही मैंने आज क़लम उठाया है...

आपकी अमानत

Anonymous said...

OH YE KYA HO RAHA HAI !

Saleem Khan said...

टिपण्णी करना बहुत आसान, बहुत आसान होता है लेकिन जवाब देना उतना ही कठिन... ज़रा बताओगे वो भी साक्ष्य के साथ कि मेरी कौन सी हरकतें संदेहास्पद हैं... और एक चैलेन्ज भी .. फिर से पढो ऐ गांधी की हत्या के समर्थन करने वाली संसद चलाने वाले मानव .... अगर सिद्ध कर दोगे तो मान लूँगा कि तुम भी... असल में असली ब्लॉगर (?) हो.

और अंत में मैं आप सबसे ऐलानियाँ यह कहना चाहता हूँ कि व्यक्तिगत सोच विभिन्न होने के बावजूद किसी से भी मेरा कोई मतभेद नहीं हो सकता है क्यूंकि मैं वोही लिखता हूँ जो मेरा मन करता है, न मैं किसी से डरता हूँ और न ही किसी की चमचागिरी करता हूँ... सब मेरे प्रिय है चाहे वो विरोधी हो या समर्थक...

आप मुझे पसंद कर सकते हैं या फिर नापसंद लेकिन मुझे नकार नहीं सकते, क्यूंकि मैं हूँ ही ऐसा !

हाँ, एक मुहावरा मैं आज बनाता हूँ, सलीम के खिलाफ़ लिखो और हिट हो जाओ, सलीम के समर्थन में लिखो, भगवा ब्रिगेड के निशाने पर आ जाओ

Saleem Khan said...

ऊपर सवाल महक जी से है

شہروز said...

सच का स्वाद हमेश ही धतूरे सा तिक्त होता है!! हरेक का अंदाज़ है..व्यंग्य तो तीखा होता ही है.परसाई जैसे लोग जब लिखा करते थे तो उन्हीं भी जान की मारने की धमकी दी जाती थी.

अनवर जमाल साहब की मर्यादापुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी पर केन्द्रित पोस्ट को साथियों को अवश्य पढना चाहिए.
.

आज कल धर्म-धर्म !! ठीक है !!
लेकिन कोई भी किसी के धर्म का मजाक उडाये ,क्षम्य कदापि नहीं हो सकता.दुःख जब होता है जब धर्मान्धता को धार्मिकता समझ लिया जाए.

हिन्दू मुआफ करें मैं सनातनी नहीं कह रहा हूँ.हिन्दू हमेशा सहिष्णु रहा है.हम सभी देख रहे हैं.


और ऐसे धर्मांध लोग गत दो सालों से सक्रीय हैं.आश्चर्य होता है कि ऐसी पोस्ट हिट भी होती है.लेकिन इन दो वर्षों में इनके विरुद्ध कहीं कोई आवाज़ नहीं उठी.

इधर हुआ यह कि दूसरा तबका जो कल तक खामोश था,उसी लहजे में जवाब देने लगा तो त्राहिमाम !!!त्राहिमाम !!!!!

प्रबुद्ध मना लोग कल तक खामोश थे.लेकिन आज उदारमना हो गए हैं.उपदेश दिए जा रहे हैं .कहीं धमकी भरे स्वर हैं!!

मिश्री जी विद्वान हैं.अदब-साहित्य से उनका वास्ता बाजाप्ता अदब से है.मैं मिश्री जी का कायल हूँ.जमाल साहब को ऐसी कोई बात नहीं कहनी चाहिए जिस से उन्हें ठेस पहुंचे. और उन्हीं के शब्दों में यही प्रार्थना है :
‘ऐ अल्लाह ! मैं मिश्रा जी को अपना खून माफ़ करता हूं। ऐ अल्लाह आप गवाह रहना, आप उन्हें 110 साल की उम्र दीजिये। उन्हें सच्चा ज्ञान और सच्चा सुख दीजिये। उनका और उनकी संतान का कल्याण कीजिये। उन्हें लोक-परलोक में सफलता का मार्ग दिखाइये।‘
.

दोस्तों!!
इंसान परेशान है यहाँ भी है वहाँ भी !!

समय हो तो अवश्य पढ़ें और अपने विचार रखें:

मदरसा, आरक्षण और आधुनिक शिक्षा
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_05.html

Arvind Mishra said...

शहरोज भाई आप आश्वस्त रहें ,आपकी एक अलग शख्सियत है -इसलिए यह टिप्पणी ...
राम के वजूद पर एक मुसलमान द्वारा चर्चा एक वाहियात बात थी इसलिए टोक दिया
कितना भी इरादा नेक हो ...इस चर्चा को शरातपूर्ण ही समझा जाएगा ..और यह थी भी ..
आस्थाओं पर कुठाराघात उचित नहीं है ....राम तो हिन्दू के प्राण है -सार्वजनिक रूप से ऐसी चर्चाओं से साम्प्रदायिक सदभाव बिगड़ता है जिसे सँभालने का काम कितनी मुश्किल से लोग कर रहे हैं ..
हम रेलिजन रेलिजन खेलना बंद करें ..राम नहीं थे कहकर कोई प्रकारांतर से क्या साबित करेगा ?
जरा कल्पना करिए पकिस्तान जो इस्लामी राष्ट्र है वहां कोई अलाह मियाँ के बारे में ऐसी बेहूदी बात कह सकता है तो फिर क्यों बहुसंख्यकों के आस्था विश्वास को चोट पहुंचा रहे हो -
एक गरीब देश का एक अरब से ज्यादा बजट अब मथुरा ,काशी ,अयोध्या में केवल इस लड़ाई के चलते सुरक्षा व्यवस्था में बर्बाद हो रहा है -और मनुष्य की इसी शर्मनाक फितरत के चलते अलाह और इश्वर वहां कैदी सा जीवन जी रहे हैं ...इस देश में हिन्दू अपने आराध्य के लिए जियेगा मरेगा नहीं तो और कहाँ जियेगा मरेगा !
हिन्दू कट्टरता मुस्लिम कट्टरता की ही प्रतिक्रिया है ..
सलीम मियाँ अभी बहुत गुल खिलाएगें यहाँ -उनकी पहचान हो गयी है ...
मैं आज ही लखनऊ ब्लॉगर अशोसिएशन से अलग हो रहा हूँ --यही घोषणा भी कर दे रहा हूँ -वह एक साम्प्रदायिक मंच बन गया है -उस पर सलीम के साम्प्रदायिक सदभाव बिगड़ने वाले लेख है ....और वे कभी देश के क़ानून के गिरफ्त में आ जायेघें तो यह सारी अधकचरी बौद्धिकता धरी रह जायेगी ...उन्हें समझाने की जरूरत है ...

Saleem Khan said...

क्षमा के साथ आदरणीय मिश्रा से दावे के साथ मैं यह सवाल पूछना चाहता हूँ की आप एक भी पोस्ट लखनऊ ब्लॉगर अशोसिएशन में मेरे द्वारा likhit ऐसी koi पोस्ट दिखाईये मैं ब्लोगिंग छोड़ दूंगा.....एक भी पोस्ट गारंटी के साथ मैं ब्लोगिंग छोड़ दूंगा...

Saleem Khan said...

और हाँ, मिश्रा जी ! आप कहीं न जाएँ और LBA पर पोस्ट्स भी लिखा करें...ताकी टच में रहें

HAKEEM YUNUS KHAN said...

अरविन्द जी! आप पाकिस्तान में अल्लाह के बारे में बेहूदगी की मिसाल दे रहे हैं ये क्यों नहीं कहते कि हिन्दुस्तान में भी बेहूदगी नहीं होनी चाहिये । न अल्लाह की , न उसके नेक बन्दों की। आप ब्लॉग जगत में कुरआन का मज़ाक़ उड़ाते क्यों देखते रहते हैं ? एक पक्ष की बेहूदगी पर आपने एक लफ़्ज़ भी आपने अब तक नहीं बोला। अधकचरे लोगों की तो छोड़िये पूरे बुद्धिजीवी ही कौन सी न्याय की बात कह रहे हैं ?
क़ानून जब काम करेगा तो विवाद होगा और हरेक विवादित चीज़ को जनता जानने और मीडिया बेचने के लिये आतुर है। जो विचार अब इक्का दुक्का लोग पढ़ रहे हैं उन्हें फिर ज़्यादा लोग जानेंगे। सुक़रात को ज़हर दिया , वह मर गया परंतु प्रवृत्तियां नहीं मरतीं। अपनी तरफ़ ध्यान दीजिये दूसरी तरफ़ से जवाब आने बंद हो जाएंगे। बात ग़लत लगे तो आपसे माफ़ी मांगता हूं।

Mahak said...

हर मुसलमान को आतंकवादी बनने का सन्देश देने वाले मानव.......................तुम्हारी हरकतें सिर्फ संदेहास्पद ही नहीं बल्कि हास्यास्पद भी हैं

क्या मतलब निकाला जाए तुम्हारी मुस्लिमों को गैर-मुस्लिमों के त्योहारों में शरीक होने से रोकने के लिए ?, या फिर कैरानवी जी को ब्लॉग संसद क सदस्य बनने पर ताना देने के लिए ? या फिर कुरीतियों ओर कुप्रथाओं का समर्थन और उन्हें जायज़ ठहराने को ?
और तो और जब शाहनवाज़ भाई जैसा नेकदिल इंसान एक पोस्ट पर सांप्रदायिक माहौल को बिगड़ता देखकर माहौल को ठीक करने की कोशिश करे तो तुम्हारे पेट में दर्द हो जाता है और तुम उनके आगे अपना ज्ञान बघारने लगते हो और माहौल को फिर सांप्रदायिक रंग देते हो , तुम्हारे जैसे मुसलामानों और हिंदुओं के कारण ही दोनों धर्मों के बीच में अमन और प्रेम पैदा करने की कोशिशों को झटका लगता है


अपने ब्लॉग पर लाइन लगा रखी है की- " डूबते हुए सूरज ने कहा- 'मेरे बाद इस संसार में मार्ग कौन दिखलायेगा? कोई है जो अंधेरों से लड़ने का साहस रखता हो? " और खुद जब भड़ास ब्रिगेड से लड़ने की बात आई तो हो लिए किनारे की ओर

तुमने आज तक मेरे किसी भी कमेन्ट या प्रश्न का जवाब नहीं दिया ,इसके बावजूद तुम्हे तुम्हारी बातों का जवाब दे रहा हूँ ओर तुम्हारी किस्मत अच्छी है की तुम ऐसे वक्त पर सामने आये हो जब की मैं अत्यंत व्यस्त हूँ ,यहाँ तक की अपने ब्लोग्स को ही समय नहीं दे पा रहा हूँ वरना तुम्हारी हर इच्छा ज़रूर पूरी करता


ओर ये जो तुम कह रहे हो की " अगर सिद्ध कर दोगे तो मान लूँगा कि तुम भी... असल में असली ब्लॉगर (?) हो " तो मैं तुमसे पूछता हूँ की तुम होते कौन हो मुझे असली या नकली ब्लॉगर का certificate देने वाले ?, क्या ये blogspot website तुम्हारी या मेरी निजी सम्पंती है ?

जो व्यक्ति अपनी पोस्ट पर खुद ही ढेर सारी टिप्पणियाँ करके उसे चिट्ठाजगत की हॉट लिस्ट में पहुंचाता हो तो ऐसे व्यक्ति को मैं तो ब्लॉगर ही नहीं मानता ,ज़रा खुद सोचो तुम्हारी तरह अगर हर ब्लॉगर ऐसे ही करने लगे तो फिर हॉट लिस्ट ओर साधारण लिस्ट में फर्क क्या रह जाएगा ?

सलीम के खिलाफ़ लिखो और हिट हो जाओ

इस नारे पर एक नारा मैं भी देता हूँ की - " सलीम ओर सत्य गौतम जैसे मजहबवाद ओर जातिवाद का ज़हर फैलाने वालों के खिलाफ लिखो ओर अपनी आत्मा को शान्ति प्रदान करो की तुमने गलत लोगों का विरोध किया है "


महक

MLA said...

ज़रा देखिये गुरु गोदियाल साहब ने क्या लिख रहें है अपनी पोस्ट में.... मिश्रा जी आप भी वहां हैं.

ये ईशू के भक्त, अल्लाह के वन्दों से कुछ कम अमानवीय नहीं !
http://gurugodiyal.blogspot.com/2010/08/blog-post_06.html
गोदियाल साहब अपने पुरखों के कुक्रतय भूल गए और अमेरिका की कहानी सुनाते-सुनाते तालिबानी आतंकवादियों की आड़ में इस्लाम धर्म को ही अमेरिका की श्रेणी में खड़ा कर दिया. अब ना तो तथाकथित नास्तिक मिश्रा जी कुछ कहेंगे और ना ही अन्य नास्तिक और आस्तिक भाई-बंधू. क्यों यह जो लिख रहा है यह उनकी ही बिरादरी का है. इसी दोगलेपन की निति की वजह से आज ब्लॉगजगत में इतना हंगामा मचा हुआ है. लेकिन हमेशा की तरह आपकी नज़र में तो बुरे हम ही होंगे, मुसलमान जो ठहरे.

Mahak said...

ऊपर जवाब सलीम जी को है

MLA said...

और दूसरी तरफ प्रकाश गोविन्द ने ईश्वर / अल्लाह को जो गाली दी है वह भी मिश्रा जी समेत किसी को नज़र नहीं आई...

देखिया प्रवीण शाह ने कैसे चटकारे लगाकर पोस्ट बनाई है.

सबको सन्मति दे भगवान !
http://praveenshah.blogspot.com/2010/08/blog-post_06.हटमल

वैसे अब यहाँ भी कोई प्रकाश गोविन्द महाशय को कानून की धमकी नहीं देगा? क्योंकि ईश्वर / अल्लाह के खिलाफ जो खुलेआम थप्पड़ मारने जैसी घटिया बात लिख रहा है वह तुम्हारे स्वयं के समुदाय का है. हालाँकि एक ही कम्प्लेंट में अन्दर होने तथा पुरे भारत के लोगो के द्वारा जूते खाने जैसा वक्तव्य यह महाशय दे रहे हैं.