कथा के दर्पण में सच को प्रतिबिम्बित करने का एक अनूठा प्रयास
ब्लॉगर्स की मीटिंग हो रही थी। सचमुच के बुद्धिजीवियों के दरम्यान वे भी चहक रहे थे जिन्हें बुद्धि से खुदा वास्ते का बैर है। बी.एन.शर्मा जैसे कुछ लोग मुखौटा लगाकर आये थे, मानो यहां कोई हैलोविन पार्टी चल रही हो। भाषणबाज़ी और प्रस्ताव आदि सभी रस्में पूरी हो चुकीं तो ‘डींगसेन‘ ने नाश्ता लगवा दिया। दो बार सभासदी का इलेक्शन हार चुके डींगसेन पत्रकार वार्ता का आयोजन करते करते बुद्ध की भांति रोटी के सत्य को पहचान चुके थे। अच्छा नाश्ता करने के बाद ब्लॉगर्स ने कभी उन्हें निराश नहीं किया था। वे सोने जैसे कमेंट करते हैं भले ही उन्होंने गोबर पर कचरा लेख क्यों न लिखा हो। जिन्हें पढ़कर मोटापे के बावजूद वे उड़न खटोले पर सवार से हो जाया करते हैं ।
लोग पांच-सात के गुटों में बंटकर बातें बना रहे थे। इनमें से कोई अपनी बीवी से परेशान होकर ब्लॉगिंग में कूद पड़ा था और कोई बीवी की तलाश में। औरतों और लड़कियों की वजहें भी कमोबेश ऐसी ही थीं। हरेक अपने मिज़ाज या मक़सद के हिसाब से मंडली बनाये नाश्ते को कैलोरीज़ में बदल रहा था।
राष्ट्रवादी से नज़र आने वाले ब्लॉगर्स भी अपनी भड़ास निकाल रहे थे। ये लोग सेक्युलर्स की तरह
दिखावे के क़ायल नहीं होते, कड़वा बोलते हैं लेकिन बोलते वही हैं जो कि वे सोचते हैं।
एक बोला- ‘मुसलमान वंदे मातरम् नहीं गाते।‘
दूसरा बोला- ‘मुसलमान गाय काटते हैं।‘
तीसरा बोला- ‘मुसलमान मांस खाते हैं।‘
चैथा बोला- ‘मांस खाना तामसिक और राक्षसी प्रवृत्ति है।‘
पांचवा बोला- ‘मुसलमान राक्षस होते हैं, हिंसक होते हैं।‘
छठा बोला- ‘मुसलमान ‘लव जिहाद‘ कर रहे हैं।‘
सातवां बोला- ‘मुसलमान ज़्यादा बच्चे पैदा करके भारत पर क़ब्ज़ा जमाने का षड्यन्त्र रच रहे हैं।‘
इसलाम और मुसलमान की चिंता इनका प्रिय विषय है। सो जिसके जी में जो आ रहा था , बक रहा था, बिना इस बात की परवाह किये कि उनके दरम्यान कुछ मुस्लिम ब्लॉगर्स भी मौजूद हैं जो अन्दर ही अन्दर कसमसा रहे हैं। इनमें से कोई कहानी रचता है और कार्टून बनाता है। खुद को इस्लाम के विषय पर चुप रखकर ही वे इस मक़ाम तक पहुंचे थे कि सभी ने उन्हें ‘आत्मसात‘ कर लिया था। उनकी ‘समझदारी‘ की मिसाल देकर घाघ ब्लॉगर्स उन मुस्लिम ब्लॉगर्स को भी चुप रहने की नसीहत किया करते थे जो नासमझी में सच कहकर अस्थिरता पैदा करते रहते थे।
सुन तो सेक्युलर ब्लॉगर्स भी रहे थे लेकिन वे निरपेक्ष और निर्लिप्त से थे। उनके अन्दर भी कोई कसमसाहट न थी।
आठवां बोला- मुसलमान देश के गद्दार होते हैं।
‘डॉक्टर साहब‘ भी सब कुछ सुन और टाल रहे थे लेकिन हर चीज़ की एक हद होती है। उन्होंने अपनी चाय एक तरफ़ सरकाई और उन्हें जवाब देना शुरू किया और विभीषण से माधुरी गुप्ता तक के नाम गिना दिये। वेदों और स्मृतियों के हवालों से आर्यों के मांसाहार का हाल बता दिया। सच सुनते ही फ़ौरन माहौल में अस्थिरता सी आ गयी।
खुद को तर्क से ख़ाली पाकर राष्ट्रवादी हुल्लड़बाज़ डॉक्टर साहब के साथ धक्का-मुक्की करने लगे। डॉक्टर साहब ने भी एक कुर्सी उठाकर हवा में चारों तरफ़ घुमा दी। लिस्ट बनाकर मारने वाले ऐसी भिड़न्त के आदी न थे। किसी का कान गया और किसी की नाक गई। सब तुरंत दूर हट गये। अब क़रीब कोई न आये।
राष्ट्रवादियों को कमज़ोर पड़ते देखकर सेक्युलर जमात से एक साहब उठ खड़े हुए। वे बोले- ‘आप डॉक्टर होकर ऐसी नासमझी कर रहे हैं , मुझे आपकी बुद्धि पर तरस आ रहा है। यह सब यहां नहीं चलेगा। आप पर क़ानून लागू हो जायेगा।‘
डॉक्टर साहब ने चुपचाप कुर्सी नीचे रख दी। वह जानते थे कि इस देश में अगर भीड़ एक आदमी का मर्डर भी कर दे तो उसपर कोई क़ानून लागू नहीं होता लेकिन अगर एक आदमी किसी के एक थप्पड़ भी मार दे तो उसपर क़ानून लागू हो जाता है। उन्होंने एक नज़र वहां ख़ामोश तमाशाई बने
मुस्लिम ब्लॉगर्स पर डाली। वे बदस्तूर समझदारी का परिचय दे रहे थे।
डॉक्टर साहब घूमकर दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गये। निकलते-निकलते उन्होंने सुना , लोग कह रहे थे - ‘इंजीनियर साहब ! आपने बड़े तरीक़े से उसे हैंडल किया।‘
उन्होंने कहा- मैंने तो केवल क़ानून का संदर्भ दिया था।‘
किसी ने कहा-‘ रियली गुड जॉब यू हैव डन, सर .‘
इंजीनियर साहब को धड़ाधड़ टिप्पणियां मिल रही थीं और वह भी प्रशंसा भरी। एक ब्लॉगर की जो मुराद होती है वह भरपूर तरीक़े से पूरी हो रही थी।
डींगसेन अन्दर ही अन्दर इंजीनियर साहब के टैक्ट से जलभुन कर कबाब हो रहा था लेकिन फिर भी मुस्कुरा रहा था।
16 comments:
सचमुच आपने ब्लाग जगत की हकीकत खोल कर रख दी
@आदरणीय एवं गुरुतुल्य अनवर जमाल जी
अच्छी कहानी पेश की है ,अब ज़रा इस कहानी के माध्यम से आप क्या कहना चाहते हैं वो भी स्पष्टतापूर्वक बता दें और साथ-२ इस कहानी के असली किरदार भी बता दें क्योंकि जनाब हम तो अभी इस ब्लॉग-जगत में नए हैं, इसलिए इस कहानी को पूरी तरह से समझ नहीं सके
महक
इस ब्लॉग पर word verification लगा हुआ है ,कृपया उसे भी हटा लें
और हाँ इस नए ब्लॉग के लिए बहुत-२ बधाई
महक
नए ब्लॉग की बधाई ! भारत में मुस्लिम लोगों की संवेदना को सही तरीके से पेश किया.
please remove word verification !
नये ब्लॉग और असरदार तरीके से अपनी अपनी बात रखने के लिए अनवर जमाल साहब तहेदिल से मुबारकबाद
वह क़त्ल भी करते है तो चर्चा तक नही होती
और हम आह भी भरते है तो हो जाते हैं बदनाम
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है ! उम्दा प्रस्तुती!
नए ब्लॉग की बधाई ! भारत में मुस्लिम लोगों की संवेदना को सही तरीके से पेश किया.
लगता है यह ब्लॉग भी धमाके करेगा!
ब्लॉग का टेम्पलेट कुछ जाना पहचाना लग रहा है.
पता नहीं यह जातिवाद को लेकर लोग गैर जाति की संवेदना से खेलते रहेंगें ।
नए ब्लॉग की बधाई.
यह ब्लॉग भी धमाके करेगा.
शुभकामनाएं.
jnaab avr bhaayi aapne to hqqiqat byaan kr dukhti ns pr haath rkh diyaa bhut khub sch ikhne kaa shaahs krne ke liyen bdhaayi. akhtar khan akela kota rajstha
नए ब्लॉग की बधाई !
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