हमने कहा कि ‘हमारे खेत में सरसों आज भी उगती है . मैं आप को जल्दी ही सरसों का फोटो भेंट करूँगा .'
तब से जब भी सरसों के खूबसूरत फूलों पर, उसकी लहलहाती फ़सल पर नज़र पड़ती थी तो दिल चाहता था कि उन्हें यह हरा-पीला मंज़र दिखा दें लेकिन उस मंज़र को क़ैद कैमरे में कौन करे ?
आज इत्तेफ़ाक़ से हम भी थे, सरसों के फूल भी थे और मंज़र क़ैद करने वाला भी आ पहुंचा। उत्तर प्रदेश पुलिस में सेवा दे रहे ये साहब मेरे मित्र तो नहीं हैं लेकिन मिलते अक्सर रहते हैं। आज वे सम्मन तामील की ड्यूटी पर थे। अपने इलाक़े के गश्त पर थे। मैंने उनसे चंद फ़ोटो लेने की इल्तेजा की और वे राज़ी हो गए। उनकी मदद से सरसों के ये फूल अव्वलन वंदना जी को भेंट करता हूं और सानियन अपने सभी पाठकों को।
वंदना जी ! सरसों में एक रंग पीला नज़र आ रहा है और एक रंग हरा। पीला रंग क्षमा का प्रतीक है और हरा रंग समृद्धि का। यह फ़ोटो मैं आपको भेंट करते हुए अपने मालिक से दुआ करता हूं कि वह आपकी तमाम ख़ताओं को क्षमा करे, आपको हिदायत दे और आपके दिल को भी क्षमा से भर दे जैसे कि उसने इस धरती को सरसों के पीले फूलों से भर दिया है। वह मालिक आपके जीवन को हर तरह से समृद्धिशाली बनाए जैसे कि उसने इस ज़मीन को हरियाली से ढक दिया है। आपके लिए भी ऐसा ही हो और उनके लिए भी जो मेरा ब्लाग पढ़ते हैं और उनके लिए भी जो मेरा ब्लाग नहीं पढ़ते।
इस नज़ारे से लुत्फ़अंदोज़ होने के बाद इस लज़्ज़त को इसकी तकमील तक पहुंचाने के लिए हम आपको पढ़वाते हैं वंदना जी की सुंदर रचना, उनके शुक्रिया के साथ।
अब खेत में सरसों कहाँ उगती है ?
यादों के लकवे पहले ही उजाड़ देते हैं
अब भंवर नदिया में कहाँ पड़ते हैं ?
अब तो पक्के घड़े भी डूबा देते हैं
यादों के लकवे पहले ही उजाड़ देते हैं
अब भंवर नदिया में कहाँ पड़ते हैं ?
अब तो पक्के घड़े भी डूबा देते हैं
हम वंदना जी से दरख्वास्त करेंगे कि वे हमारे प्यारे ब्लाग ‘प्यारी मां‘ में एक लेखिका के तौर पर जुडें और मां के बारे में कुछ सुंदर रचनाएं हिंदी पाठकों को दें। हम उनकी रचनाओं को ज़्यादा से ज़्यादा पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।
मेरी ईमेल आईडी है- eshvani@gmail.com
सरसों के खूबसूरत फूल
नीले आसमान के नीचे पीले फूल सरसों के
धरती मां धानी चुनर ओढ़े हुए
फ़ोटोकार परिचित, उ.प्र.पु.
5 comments:
:-) achchi tasveer hai. ummid karti hoon ki Vandan ji ko bhi achchi lagegi.
खान साहब , सरसों हमारे खेत में भी हर साल उगती है ...
@ तरूण भाई ! उसमें से जब तेल निकालो तो थोडा सा हमें भी भेजना .
अब खेत में सरसों कहाँ उगती है ?
यादों के लकवे पहले ही उजाड़ देते हैं
अब भंवर नदिया में कहाँ पड़ते हैं ?
अब तो पक्के घड़े भी डूबा देते हैं
shaandaar..
मुझे। और मेरी रचना को स्थान और इतना मान देने के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
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