Saturday, January 29, 2011

मेरे जितने विरोधी हैं , उनमें से कोई एक भी इस कलाम को हल करने की ताक़त नहीं रखता The challenge

कलाम ए हाली
दर्दे दिल को दवा से क्या मतलब
कीमिया को तिला से क्या मतलब

चश्मा ए ज़िंदगी है ज़िक्रे जमील
ख़िज़्रो आबे बक़ा से क्या मतलब

बादशाही है नफ़्स की तस्ख़ीर
ज़िल्ले बाले हुमा से क्या मतलब

गरचे है रिन्द दामने आलूदा
हमको चूनो चरा से क्या मतलब

जो करेंगे भरेंगे खुद वाइज़
तुमको हमारी ख़ता से क्या मतलब

काम है मरदुमी से इंसां की
ज़ोहोदो इत्क़ा से क्या मतलब

नकहते मै पे जो ग़श हैं ‘हाली‘
उनको दुर्दो सफ़ा से क्या मतलब


यह कलाम हमें जनाब हकीम ज़मीरूद्दीन अहमद सलीम तुर्क मावराउन्नहरी साहब ने बतारीख़ 24 जनवरी 2011 को सुनाया तो हमने फ़ौरन उनसे इसे अपनी डायरी में तहरीर करवा लिया और अब आपके सामने बग़र्ज़े इम्तेहान पेश है। मेरे जितने विरोधी मेरी समझ पर अक्सर सवाल खड़े करते हैं। उनमें से कोई एक भी इस कलाम को हल करने की ताक़त नहीं रखता। अगर कोई रखता है तो वह सामने आए।
जो मेरा विरोधी नहीं है, वह आराम से इसका लुत्फ़ ले। हर चीज़ समझ आना ज़रूरी भी नहीं है। कुछ चीज़ें रहस्यमय रहें तो अपना आकर्षण बनाए रखती हैं।
इस कलाम को हल करने के लिए मैं कुछ दिन बाद खुद किसी उर्दू दां ब्लागर से दरख्वास्त करूंगा। तब तक आप सब्र रखें और बेवजह मेरा विरोध करने वालों के ज्ञान की हक़ीक़त देखें।
ख़ास तौर पर डा. श्याम गुप्ता जी के इल्मो-फ़ज़्ल को देख लें क्योंकि वे कहते हैं कि उन्हें
पता है। शायरी की समझ का दावा भी वे बेमौक़ा किया करते हैं। 
अब मौक़ा है, अब वे सामने नहीं आएंगे, ऐसा मुझे यक़ीन है।
पहाड़ यहां क़ायम कर दिया गया है, देखें कौन इसकी चोटी पर अपना झंडा फहराने में कामयाब होता है ?

8 comments:

किलर झपाटा said...

आदरणीय डॉ. साहब,
मेरे विचार से ब्लॉग पर "बवाल" भाईजान के होते हुए आपको इस तरह का दावा नहीं करना चाहिए था। हाँ ये बात अलग है कि भाईजान किसी के भी विरोधी नहीं हैं मगर आप कुछ नाराज लग रहे हैं। क्या बात है ? किसी की कोई बात चुभ गई हो तो बतलाएँ ना आपका यह दोस्त किलर झपाटा किस दिन काम आएगा। वैसे तो आप खुद ही समर्थ हैं मगर मेरा सोचना है कि आपको इस तरह बौखलाने की क्या जरूरत है डॉ. साहब ? आपका तो सौम्य डिज़ाइन ही अच्छा लगता है। हा हा। चियर अप जमाल साहब।

लाल कलम said...

jabardast kalaam hain sahab

हरीश सिंह said...

kya guru ji akele akele chay ka maja le rahe hai.

कुमार राधारमण said...

कुछ शब्दों के अर्थ दिए गए होते,तो मैं भी समझ पाता।

KAVITA said...

AApko janamdin kee haardik shubhkamnayen

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

जो करेंगे भरेंगे खुद वाइज़
तुमको हमारी ख़ता से क्या मतलब


सही है, जो जैसा करेगा वैसा भरेगा ॥

हम तो उसकी इबादत के नशे में चूर
हमे साकी,वो जामो-मीना से क्या मतलब :)

रविकर said...

sanyasi ko kya chahiye--bas kanthi-maala, use pushtta ki oushadhi se kya matlab,

maja aa raha hai aapke sath men,

DR. ANWER JAMAL said...

@ रविकर जी ! हमें भी आपके साथ मज़ा आ रहा है।
शुक्रिया !